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Monday, June 27, 2011

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आज के दौर में पढ़ाई करना जितना कठिन है, उतना ही आसान भी है। आप यदि थोड़ा भी जागरुक हैं, तो आसानी से अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं। ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टोरल प्रोग्राम्स और डिग्रियों के लिए कई ट्रस्ट और कंपनियां, संस्थान, मंत्रालय, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं फेलोशिप और स्कॉलरशिप निकालती हैं। इनमें एप्लाई करके आप अच्छे संस्थान या विश्वविद्यालय से पढ़ाई भी कर सकते हैं। इससे न ही आपके परिवार पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और आपकी पढ़ाई भी आसानी से पूरी हो जाएगी। ऐसी की कुछ स्कॉलरशिप और फेलोशिप की चर्चा यहां कर रहे हैं।


फुल ब्राइट मास्टर्स फेलोशिप लीडरशिप डवलपमेंट
डवलपमेंट के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उत्सुक युवा भारतीय यूएस के सेलेक्टेड कॉलेजों से डवलपमेंट के क्षेत्र में मास्टर डिग्री प्रोग्राम्स में दाखिला ले सकते हैं। इतना ही नहीं जो विश्वविद्यालय आर्ट एंड कल्चर मैनेजमेंट जैसे कि हेरीटेज कंजर्वेशन, म्यूजियम स्टडीज, काम्युनिकेशन स्टडीज, कॉन्फिलिक्ट रिजोल्यूशन, इकोनॉमिक्स, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, शहरी और ग्रामीण प्लानिंग से संबंधित कोर्स कर सकते हैं। मास्टर्स डिग्री के लिए वहीं अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने यूएस स्नातक डिग्री के बराबर स्नातक किया हो।
भारत के किसी विश्वविद्यालय से यदि चार वर्ष की स्नातक डिग्री पूरी नहीं की हो, तो संबंधित क्षेत्र में तीन से 1 साल के बीच का प्रोफेशनल अनुभव होना आवश्यक है। यह फेलोशिप एक और दो वर्ष के लिए हो सकती है।

ये हैं फायदे
इस फेलोशिप के निम्न फायदे हैं जैसे कि वीजा सपोर्ट, ट्यूशन फीस, रहने-खाने का खर्च इत्यादि।
आयु- 25-30 वर्ष
आवेदन की अंतिम तिथि- 15 जुलाई 2011

अधिक जानकारी के लिए देखें-
http://www.fulbright-india.org/


बुलब्राइट नेहरू डॉक्टोरल एंड प्रोफेशनल रिसर्च फेलोशिप
जो अभ्यर्थी भारत के किसी विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए पहले से ही रजिस्टर्ड हैं। इस फेलोशिप का लाभ ले सकते हैं। इसके तहत वह 9 महीने के लिए यूएस के संबंधित विश्वविद्यालय में प्रोफेशनल एक्स्पेरिंस ले सकते हैं।

ये हैं फील्ड
अभ्यर्थी एग्रीकल्चरल साइंसेज, इकोनॉमिक्स, एजुकेशन, एनर्जी, सस्टेनेबल डवलपमेंट एंड क्लाइमेंट चेंज, एन्वायरमेंट, इंटरनेशनल रिलेशंस, मैनेजमेंट एंड लीडरशिप डवलपमेंट, मीडिया एंड कम्यूनिकेशन (ब्रॉड कास्टिंग), पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, सोसायटी एंड कल्चर सहित कई अन्य विषयों पर आप प्रोफेशनल वर्क एक्सीपीरिएंस के लिए एप्लाई किया जा सकता है।
आवेदन की अंतिम तिथि- 15 जुलाई २०११

अधिक जानकारी के लिए देखें-
http://www.usief.org.in/


रोडेस स्कॉलरशिप इंडिया 2011साइंस, ह्यूमेनिटीज, लॉ एंड मेडिसिन क्षेत्र में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण स्नातक अभ्यर्थी इस फेलोशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2011 है। इस फेलोशिप के जरिए यूके की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीजी प्रोग्राम के लिए दाखिला ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए तय आहर्ताओं को पूरा करना आवश्यक है। स्नातक फाइनल वर्ष के अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन 1 अक्टूबर 2012 के बीच उम्र 25 वर्ष से कम होनी चाहिए।

संपर्क
सचिव, रोडेस स्कॉलरशिप, इंडिया
आईसीजीईबी, अरुणा आसिफ अली मार्ग
नई दिल्ली, 110067
http://www.rhodesscholarships-india.com/


हवाई मेट्री स्कॉलरशिप
हवाई विश्व की जानी मानी टेलीकॉम सॉल्यूशन प्रोवाइडर कंपनी है। प्रतिभावान छात्रों को शिक्षा में आगे ले जाने के लिए स्कॉलरशिप प्रदान करती है। इस स्कॉलरशिप के लिए स्नातक कर रहे और उत्तीर्ण छात्र आवेदन कर सकते हैं। इसके स्कॉलरशिप के जरिए चाइना के प्रमुख संस्थानों से अभ्यर्थी पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं। इस स्कॉलरशिप का मुख्य उद्देश्य भारतीय और चीन के बीच सोशल एंड कल्चरल इंटरचेंज को बढ़ावा देना है। स्कॉलरशिप के  तहत अभ्यर्थी के पढ़ने और रहने और खाने का पूरा व्यय वहन   किया जाएगा।

संपर्क
आवेदन की अंतिम तिथि - 30 जून 2011
रिजल्ट - 31 जुलाई २०११

http://www.huaweischolarships.org/


एजुकेशनल स्कॉलरशिप
साहू जैन ट्रस्ट की ओर से 2011-2012 के लिए मेरिट बेस्ट एजुकेशनल स्कॉलरशिप निकाली जाएगी। इसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल से संबंधित प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए दी जाने वाली ग्रांट भी शामिल है। इसके अलावा टेक्निकल ट्रेड से जुड़े कोर्स जैसे कम्प्यूटर्स इन्फोटेक शामिल हैं।
ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन से जुड़े कोर्सेज के लिए भी स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी।

संपर्क
आवेदन की अंतिम तिथि - 20 जुलाई 2011
http://www.huaweischolarships.org/


ए स्टार यूथ स्कॉलरशिप्स 20121 जून से 15 जुलाई के बीच अभ्यर्थी इस यूथ स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह स्कॉलरशिप वैसा सिंगापुर से सेलेक्टेड इंस्टीट्यूशन से एजुकेशन पूरा करने का मौका देती है। एक्जाम के दौरान यदि अभ्यर्थी का परिणाम उम्दा व संतोषजनक रहा तो फेलोशिप प्रदान की जाती है। इतना ही नहीं रिसर्चर को भी इसके तहत एज ए रिसर्च स्कॉलर के रूप में चुना जाता है।

ये है जरूरीभारत का नागरिक हो
1995-1997 के बीच जन्मा हो
2011 में आठवीं उत्तीर्ण किया हो
एकेडेमिक रिकार्ड अच्छा रहा हो। 80 फीसदी अंक अभी तक की परीक्षाओं में प्राप्त किए हों। इसके अलावा इंग्लिश लिखने और बोलने में निपुणता हो।

यूं करें   आवेदनअभ्यर्थी आनलाइन आवेदन के लिए एप्लाई 15 जुलाई 2011 तक कर सकते हैं।

सेलेक्शन टेस्ट
जिन्होंने फेलोशिप के लिए आवेदन किया है उनके लिए सेलेक्शन टेस्ट अगस्त के अंतिम सप्ताह और सितंबर के पहले सप्ताह के बीच आयोजित किया जाएगा।

इंटरव्यू
रिटन टेस्ट पास करने वाले अभ्यिर्थियों के लिए अक्टूबर और नवंबर के बीच में इंटरव्यू प्रक्रिया आयोजित होगी।

अवार्ड
इंटरव्यू को उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के लिए नवंबर के बीच में स्कॉलरशिप की घोषणा की जाएगी। इसके बाद दिसंबर 2011 के अंत में स्कॉलर को सिंगापुर पहुंचना होगा।

टेस्ट के संभावित सेंटर 
स्कॉलरशिप टेस्ट के लिए संभावित सेंटर इंडिया में ये हो सकते हैं।
 बंगलूरु
 कलकत्ता
 चेन्नई
 दिल्ली
 मुंबई

अधिक जानकारी के लिए देखें-
www.moe.gov.sg/education/scholarships/astar/
ये दस्तावेज हैं जरूरी
चाइल्ड बर्थ सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, एकेडमिक रिकार्ड के कागजात



जेनिंग्स रंडोल्फ सीनियर फेलोशिप 2012-13
स्कॉलर्स , पॉलिसी एनालिसिस्ट, पॉलिसी में कर, जर्नलिस्ट के अलावा दूसरे विशेषज्ञों के लिए जेनिंग्स रंडोल्फ सीनियर फेलोशिप दी जाती है। इसके तहत लोगों को संस्थान में रहना होगा, जहां इंटरनेशनल पीस और सिक्योरिटी चैलेंज से संबंधित मामलों की पढ़ाई करनी होगी। यह फेलोशिप दस महीने के लिए दी जाएगी जो अक्टूबर से शुरू होगी, लेकिन शॉर्ट टर्म फेलोशिप भी उपलब्ध है। किसी भी देश का कोई भी नागरिक इसके लिए आवेदन कर सकता है। हर साल 10-12 लोगों को फेलोशिप प्रदान किया जाता है। इस फेलोशिप के लिए आवेदन करने के लिए आवेदकों को पॉलिसी से संबंधित प्रोजेक्ट जमा करना होगा। इतिहास से संबंधित टॉपिक्स भी हो सकते हैं। एरिया स्टडीज प्रोजेक्ट और सिंगल स्टडीज की तुलना की जा सकती है।

क्या हो योग्यता
किसी भी देश का नागरिक इस फेलोशिप के लिए आवेदन कर सकता है। जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, उन्हें जे-वन एक्सचेंज विजिटर वीजा मिलेगा। इस फेलोशिप के लिए कोई खास एजुकेशनल डिग्री की जरूरत नहीं है। फेलो का प्रोफेशनल बैकग्राउंड होना चाहिए। जो अभ्यर्थी इंटरनेशनल सिक्योरिटी, पीस बिल्डिंग, पब्लिक अफेयर जैसे सरकारी संस्थान या एनजीओ में कार्यरत हैं, या फिर डिप्लोमेट, नेगोसिएटर, मिडियेटर, लेबर लीडर आदि हैं, वे आवेदन कर सकते हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी योग्य हैं। साथ ही, जर्नलिस्ट, एडिटर और प्रोड्यूसर भी इस फेलोशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं।

यूं होगा सेलेक्शन
प्रोजेक्ट की सार्थकता, प्रोजेक्ट डिजाइन, इंप्लीमेंटेशन, ट्रैक रिकॉर्ड के अलावा अभ्यर्थी की क्षमता को ध्यान में रखते हुए अभ्यर्थी का चयन किया जाएगा।

क्या करना होगा
फेलो को संस्थान में रहकर अपने कामों का प्रदर्शन करना होगा और वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस के अलावा दूसरी गतिविधियों में शामिल होना होगा। संस्थान में कॉलेजियल और इंटलेक्चुअल रिसोर्स के साथ इंट्रेक्ट भी होना होगा। किताब या मोनोग्राफी यूएसआईपी प्रेस के जरिए प्रकाशित करना होगा। संस्थान में पीस वर्क रिपोर्ट या स्पेशल रिपोर्ट प्रकाशित करना होगा। प्रोफेशनल या एकेडमिक जर्नल्स में आर्टकिल्स भी प्रकाशित करना होगा। डिमॉन्स्ट्रेशन के साथ-साथ टीचिंग, लेक्चर्स आदि में शामिल होना होगा।

फाइनेंशियल सहायता
10 महीने तक अधिकतम एक लाख अमेरिकी डॉलर तक संस्थान 80 फीसदी हेल्थ प्रीमियम वहन करेगा, जिनमें फेलो के साथ-साथ योग्य डिपेंडेंट भी शामिल होंगे। वाशिंगटन आने-जाने का खर्च भी शामिल रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए देखें-
www.usip.org/fellows/index.html
आवेदन की अंतिम तिथि - 8 सितंबर २०११



हम लड़कियां बदलेंगी दुनिया

Saturday, June 11, 2011

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हर क्षेत्र में लड़कियों ने अपना नया मुकाम तय किया है। शिक्षा, बिजनेस, फिल्म, मॉडलिंग, प्रशासन और राजनीतिक से लेकर हर एक फील्ड में अपनी अहम जगह बनाई है। इतना ही नहीं दिन-दूनी, रात-चौगनी रफ्तार से बढ़ रही लड़कियों के जीने का तरीका भी पहले की आम लड़की के मुकाबले अलग है। लड़कों के साथ बात करने, काम करने और उनका सामना करने में वे बिल्कुल भी नहीं झिझकती हैं। एक जमाना था, जब कोई लड़की किसी लड़के से अगर बात करे, तो आमने-सामने वाले उसके चरित्र पर अंगुली उठाने में भी नहीं कतराते थे। अब आलम यह है कि लड़कियों ने स्वयं को साबित करके सभी की बोलती बंद कर दी है। लड़कियां लड़कों के सामने पूरे आत्मविश्वास और मजबूती से खड़े होने का मद्दा रखती हैं। यही वजह है कि समाज ने भी उनकी क्षमताओं को स्वीकारा है। छोटे-छोटे गांव से निकलर लड़कियां शहर की ओर रुख कर रही हैं। बेहतर तालीम हासिल करके अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। इंजीनियरिंग, मेडिकल, शिक्षा और प्रशासनिक पदों पर अपने को शोभायमान कर रही हैं। आईएएस 2011 की टॉपर एस दिव्य दर्शिनी ने भी अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करके लड़कियों की रोल मॉडल बनी हैं।  दो साल पहले भी सुभ्रा श्रीवास्तव ने पहली रैंक प्राप्त करके महिलाओं में प्रशासनिक बागडोर थामने का जज्बा पैदा किया था। इतना ही नहीं अपनी अभिव्यक्ति को भी पूरा तवज्जो दे रही हैं। पढ़ाई से लेकर शादी और शादी के बाद की लाइफ स्टाइल जीने का तरीका भी वे स्वयं तय कर रही हैं। प्लानिंग और मैनेजमेंट करना भी उन्हें खूब आता है। करियर और पारिवारिक जीवन में संयोजन कैसे बिठाना है। यह भी खूब अच्छी तरह से जानती है। यही कारण है कि शादी से जुड़े मुद्दों पर वे खुलकर बोलने को तैयार हैं। किस तरह का लड़का चाहिए। उसमें क्या गुण होने चाहिए, एकेडेमिक और फैमिली बैकग्राउंड को भी अपनी पसंद में शामिल कर रही हैं। आज की लड़कियां आत्म निर्भर हैं। अपनी तरह से जीना जानती है। उन्हें क्या पहनना है, क्या खाना है, भविष्य की दिशा क्या हो। इसका निर्णय वे स्वयं लेना चाहती है। समाज को इस बात को स्वीकारना होगा। काफी हद तक इसका असर सामाजिक परिवेश में दिखाई भी दे रहा है। पहले के समय में यदि कोई लड़की अपनी पसंद से शादी करने के लिए परिवार के सामने प्रस्ताव को रखती थी, तो उसे आड़े हाथों लेकर उसकी भावनाओं का दमन कर दिया जाता था, लेकिन आज आलम यह है कि लड़कियां अपनी पसंद और न पसंद के बारे में खुलकर बात करने लगी हैं। लव मैरिज करने पर परिवार का ही नहीं समाज का भी सहयोग मिलने लगा है। सिर्फ कुछ अपवादों को छोड़कर। पिछले पांच सालों में 15-20 मामले मैंने स्वयं देखे हैं, जिनमें लव मैरिज को तवज्जो मिला। जहां पहले लोग लव मैरिज के नाम पर शादी में शामिल होने से कतराते थे, वही अब वर-वधू को आर्शीवाद देने के लिए स्वयं आगे आ रहे हैं। यह सब तभी संभव हुआ है, जब सामाजिक परिवेश में रहते हुए लड़कियों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। लेकिन सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए उन्होंने बहुत कुछ पीछे भी छोड़ दिया है, शायद उसकी भरपाई वे जीवनभर नहीं कर सकेंगी। प्यार के छल रूपी जाल में फंसकर उन्होंने अपनी भावनाओं और अस्तित्व को भी खतरे में डाल दिया। कौन सी सफलता के लिए उन्होंने अपने आप को इस तरह के जाल में फंसाया। इसका जवाब तो एक लड़की स्वयं दे सकती है। मेट्रो कल्चर की भागदौड़ में शामिल होकर उन्होंने स्त्री होने के अस्तित्व को भी खतरे में डाला है। नेम और फेम के पायदान चढ़ते हुए उन्होंने इस बात की भी परवाह नहीं की, लड़की होने के मायने क्या हैं। इस धरती पर उनके होने की वजह क्या है। उनका दायरा क्या है। व्यक्तिगत जीवन और प्रोफेशनल लाइफ को उन्होंने एक ही भाव में तौला, जिसने समूची स्त्री जाति के सामने प्रश्न खड़े कर दिए हैं। स्वतंत्रता के मायनों को न समझते हुए उन्होंने अपनी स्वतंत्रता को स्वछन्दता में तब्दील कर दिया। मान-मर्यादा की चिंता किए बगैर ऐसे काले कारनामें उनके द्वारा  किए गए हैं, जिन्हें जानकर और पढ़कर एक सीधी-सादी लड़की का मन भी कांप उठे। एक लड़की को सही और गलत निर्णय लेने का हक है, लेकिन अपनी निजता को बचाए रखने की जिम्मेदारी भी उसी की है। यदि इस बात को दौलत की भूखी बालाओं ने नहीं समझा तो आने वाले समय में उनके लिए राहें आसान नहीं, बल्कि और कठिन हो जाएंगी। उनकी वजह से सीधी-सादी बालाओं पर भी समाज लांछन लगाने में नहीं कतराएगा। उनका समाज में जीना दूभर हो जाएगा। हमें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए ‘जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाएं। पैसे की दौड़ में शामिल होकर अपनी अमूल्य धरोहर को पीछे छोड़कर कहां जाना चाहते हैं। इसका निर्णय स्वयं लेना होगा।

फैशन का है ये जलवा

Saturday, June 4, 2011

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नेम और फेम पाना हर किसी की तमन्ना होती है। लड़कियां भी अपने हुनर का जलवा दिखाकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम कायम करना चाहती हैं। फैशन और सौन्दर्य की दुनिया में सितारों की तरह चमकना भी हर एक लडक़ी चाहती है। हमारे देश में ऐसी कई लड़कियां सामने आईं हैं, जिन्होंने बहुत छोटी सी जगह से निकलकर अपना नाम का परचम राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है। मप्र के देवास जिले की रहने वाली नेहा हिंगे ने फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल बनकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी दावेदारी का बिगुल बजा दिया है। तेज दिमाग और अच्छे व्यहार से हर कोई मिस इंडिया, मिस वर्ल्ड और मिस यूनीवर्स का खिताब अपने नाम कर सकता है। ऐसी ही चुनिंदा प्रतियोगिताओं की बात इस अंक में कर रहे हैं।

मुझे है बनना मिस इंडिया -
इस वर्ष 2010 मिस इंडिया वर्ल्ड  का खिताब मनस्वी ममगई को दिया गया है ।  दिल्ली की 22 वर्षीय बाला मनस्वी बॉलीवुड में कदम रखकर फिल्मी दुनिया में अपना नाम कमाना चाहती हैं। वैसे मिस इंडिया वर्ल्ड को फिल्म इंडस्ट्री में शाहरुख  खान और फराह खान पसंद हैं । मनस्वी का मुख्य उदद्द्देश्य मिस वर्ल्ड के खिताब को अपने नाम करना है। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है।  निकोल फाइरिया को मिस इंडिया अर्थ और मध्य प्रदेश की नेहा हिंगे को मिस इंडिया इंटरनेशनल चुना गया है। नेहा हिंगे की मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में दावेदारी करने से साफ जाहिर होता है कि प्रदेश की लड़कियां भी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए आगे आ रही हैं। पेशे  से सॉफ्टवेयर इंजीनियर और मॉडलिंग का शौक रखने वाली देवास जिले की 23 वर्षीय नेहा हिंगे ने देश में आज अपनी अलग पहचान बनाई है।  मॉडलिंग का शौक रखने वाली लड़कियां इन प्रतियोगिताओं में शामिल होकर अन्तर्राष्ट्रीय  ख्याति पा सकती हैं।

कैसे शामिल हो मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में -
मिस इंडिया बनने के लिए बौद्धिक क्षमता के साथ -साथ कद-काठी को भी सही रूप देना होगा।  फेमिना मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में शामिल होकर मिस इंडिया का खिताब हासिल किया जा सकता है। लेकिन प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए भारतीय और अविवाहित होना जरूरी है । उम्र 18 से 23  साल के बीच  होना चाहिए। प्रतियोगिता कराने वाले संगठन या स्पॉन्सर में  परिवार को कोई भी व्यक्ति कार्यरत नहीं होना चाहिए।

 देश के 13 शहरों में होती है चयन प्रक्रिया -

 फेमिना मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में शामिल होने वाले प्र्िरतनिधियों के लिए वॉक इन प्रतियोगिता देशभर 13 स्थानों पर सालभर में अलग-अलग समय पर आयोजित होती है।  इसमें लखनऊ, आगरा, इंदौर, चंडीगढ़, कोलकता, भुवनेश्वर, गोवाहाटी, नासिक, अहमदाबाद, गोवा, जयपुर और शिमला शामिल हैं। प्रतियोगिता में शामिल होने प्रतिनिधियों को जानकारी देने के लिए  समय-समय पर विज्ञापन रेडियो, टीवी, वेब और प्रिन्ट माध्यम के जरिए प्रकाश में लाए जाते हैं। इसके अलावा इच्छुक प्रतिभागी BollywoodBilli.com  पर जानकारी ले सकते हैं।
मिस इंडिया की विनर प्रतिभागी मिस यूनीवर्स, प्रतियोगिता की रनरअप मिस वर्ल्डऔर सेकंड रनरअप  मिस एशिया पैसिफिक में शामिल हो सकती है । लेकिन मिस इंडिया विनर उसी वर्ष मिस यूनीवर्स के लिए नामांकित नहीं हो सकती है। फेमिना मिस इंडिया कॉन्टेस्ट की ओर से तय नियम के अनुसार इसे नहीं किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य - मिस इंडिया का खिताब जीत चुकी प्रतिभागी 1953 से मिस यूनीवर्स के लिए नामांकित की जा रही हैं ।  इसकी शुरूआत इंद्रणी रहमान ने की । वहीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में शामिल होने की पहल 1959 में  फ्लूयर एजेकिल ने की ।

भारतीय मिस इंडिया प्रतियोगिता में कुछ ऐसी ही भारतीय शख्सित हैं जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में परचम लहराकर अपना ही नहीं देश का नाम ऊंचा किया है।

मिस यूनीवर्स -

1994 - सुष्मिता सेन
2000 - लारा दत्ता
मिस वर्ल्ड -
1994 - एश्वर्या राय्र
1997 - डायना हेडेन
1999 - युक्ता मुखी
2000 - प्रियंका चोपड़ा 

मिस अर्थ -
2006 - अमृता पात्की  - महाराष्ट्र - मिस अर्थ एयर

मिस इंडिया पैसिफिक -

* जीनत अमान-  1970
* तारा अन्ना फोन्सेका - 1973
*  दिया मिर्जा -  2000

दशक की चुनी गई मिस यूनीवर्स -

* इंडिया -  लारा दत्ता -                       2000
*  प्यूरेटो रिको - डेनिस क्यूनॉनेस-    2001
* रशिया- आग्जाना फेडोरोवा -            2002
* स्पैनिश - अमेला वेगा -                   2003
* आस्ट्रेलिया - जैनिफर हाकिंग्स -      2004
* कनाडा - नेताली ग्लोबोवा -              2005
* प्यूरेटो रिको - जुलाइका राइवेरा -   2006
* जापान - रियो मोरी -                       2007
* वेनुजुएला - डायना मेन्डोजा -          2008
* वेनुजुएला - स्टेफेनिया फर्नाडीज -   2009

2010 की मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता  लॉस वेगास, यूएसए में 23 अगस्त हुई। 59वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में मेक्सिको की 22 वर्षीय सुंदरी जिमेना नेवरेटी ने यह ताज़ अपने नाम करते हुए 2010 की मिस यूनिवर्स कहलाने का गौरव हासिल किया। प्रतियोगिता में 50 से अधिक देशों के प्रतियोगी शामिल हुए।

कब शुरू हुई मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता -
मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता की शुरूआत 1952 में कैलीफोनिर्या की कपड़ा कंपनी पैसफिक मिल्स हुई।  पहली मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता कैलॉफोनिर्या स्थित लॉस एंजेल्स में आयोजित हुई। इस दौरान फिनलैंड की अर्मी कुसैला मिस यूनीवर्स चुनी गईं। बाद में 1996 में  डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा इसे अधिग्रहित कर लिया गया। इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले   प्रतिभागियों की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। साथ ही उनमें बुद्धिमत्ता, अच्छा व्यहार और सभ्यता का समावेश होना जरूरी है। 

ऐसे शुरू होती है मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता -

 कुल 77 प्रतिभागियों के साथ प्रतियोगिता की शुरूआत की जाती है ।  प्रथम राउंड में सभी प्रतिभागियों के प्रेजेन्टेशन को देखा जाता है। इसे पे्रजेन्टेशन शो कहते हैं। इसमें से चयनित टॉप 15 को स्विम सूट प्रतियोगिता के लिए चयनित किया जाता है। इसमें 10 प्रतिभागियों को इवनिंग राउंड के लिए चुना जाता है और इसमें से 5 को इंटरव्यू के लिए चयनित किया जाता है। जिसमें से 1 को मिस यूनीवर्स का खिताब दिया जाता है। इसके अलावा बाकी प्रतिभागियों को बेस्ट नेचुरल कॉस्टयूम, मिस फोटोजेनिक, मिस कॉन्जेनिकली चुना जाता है ।  

मिस वर्ल्ड -
 मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की शुरूआत इरिक मॉर्ले ने 1951 में  ब्रिटेन में की । इस प्रतियोगिता की दशर्कों ने  खूब सरहा। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहते थे। ऐसा लगता था मानो वर्ल्ड कप या ओलंपिक की शुरूआत की जा रही हो। इस प्रतियोगिता को सबसे पहले बीबीसी ने 1959 में टेलीविजन पर दिखाना शुरू किया। इसके बाद 1980 से थॉमस टेलीविजन ने प्रतियोगिता को दिखाने का कॉन्टे्रक्ट ले लिया। 2009 की मिस वर्ल्ड जिब्राल्टर की कैएने एल्ड्रीनों को चुना गया । देखते हैं इस साल की प्रतियोगिता में यहा खिताब किसकी झोली में गिरता है। फिलहाल 2000 में प्रियंका चोपड़ा के मिस वलर्ड बनने के बाद से यह खिताब भारत के पाले में नहीं आया है। 2010 की मिस वर्ल्ड का खिताब मिस अमेरिका एलेक्जेंड्रिया मिल्स ने अपने नाम किया है। प्रतियोगिता का आयोजन 30 अक्टूबर को चाइना के सान्या शहर में हुआ।

मिस अर्थ -

पर्यावरण  के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मिस अर्थ प्रतियोगिता वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। मिस यूनीवर्स और मिस वर्ल्ड की तरह की यह भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की तीसरी बड़ी सौन्दर्य प्रतियोगिता है ।  इसका मुख्य कार्यालय मनीला में स्थित है। इसकी स्थापना  2001 में की गई ।  इसी प्रतियोगिता के तहत 2004  में ईको फे्रडली फैशन डिजाइन करने की बात की गई और कई फैशन डिजाइनर इस काम के लिए आगे आए।  इस साल की मिस अर्थ प्रतियोगिता  4 दिसंबर को वियतनाम में आयोजित होगी।  ब्राजील की लैरिसा रैमॉस 2009 की मिस अर्थ हैं। वहीं भारत की निकोल फारिया 2010 की मिस अर्थ चुनी गई। इस साल के लिए मिस अर्थ की प्रतियोगिता 12 नवंबर 2011 को थायलैंड में आयोजित होगी।