पानी में अठखेलियां करते पक्षी

Friday, December 2, 2011

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पक्षी जब पंख पसार कर उड़ते हैं, तो उन्हें देखना बड़ा ही सुखद अनुभव होता है, लेकिन जब कल-कल करती लहरों के साथ रंग-बिरंगे पक्षी अठखेलियां करें तो फिर बात ही अलग होती है। ऐसा नजारा आप तालाब और झील के किनारे पर बैठकर देख सकते हैं। मध्य प्रदेश में पाए जाने वाले ऐसे ही कुछ पक्षियों की बनावट और अनुकूलन के बारे में आपको बता रहे हैं।

अधिकांश जलीय पक्षी ठंड के प्रवासी होते हैं। अत: उनकी उपस्थिति ठंड के आगमन की सूचना देती है। जलीय पक्षी जलीय क्षेत्रों के कीट पतंगे, मछलियों और घोंघे जैसे जलीय जन्तुओं को खाकर जैविक नियंत्रण करते हैं। जलीय क्षेत्रों के स्वस्थ वातावरण का अनुमान पक्षियों को देखकर लगाया जा सकता है। पक्षी जलीय पौधों की वृद्धि पर नियंत्रण रख जलीय तन्त्र की आॅक्सीजन उपलब्धता को बढ़ाते हैं। यह जलीय पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक जलीय जन्तुओं जैसे केंकड़े, घोंघे आदि का भक्षण करते हैं या खाने योग्य मछलियों के परपक्षी जन्तुओं को नष्ट करते हैं। यह अपनी नाइट्रोजन और फास्फोरस के जल में उत्सर्जन से जल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।

जानकारी के अनुसार संसार में लगभग 12 हजार प्रजातियों में से लगभग 1200 प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जती हैं। मध्य प्रदेश की लगभग 250 प्रजातियों में 100 प्रकार की पक्षी जाति जली य हैं। इन्हें भोजन, आवास, प्रवास यानि माइग्रेशन और शारीरिक संरचना के आधार पर कई भागों में बांटा जा सकता है।

जलीय पक्षियों के प्रकार-
बत्तख/हंस-

यह दो प्रकार के होते हैं; डुबकी लगाने वाले और जल की सतह पर रहने वाले। डुबकी लगाने वालों में नील सिर बत्तख, लाल सिर बत्तख और सींक पर को शामिल कर सकते हैं। वहीं सतह पर रहने वालों में गिर्री बत्तख, गुगुरल बत्तख, हंस, छोटी सिल्ही, पीलासर बत्तख, तिदारि बत्तख आते हैं।
जलमुर्गियां-
इस कैटेगरी में ऐसे जलीय पक्षी आते हैं जो बत्तख जैसे दिखते हैं, लेकिन बत्तख होते नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर टिकड़ी, पनडुब्बी और जसाना आदि।
वेडर-
इसमें लंबे पैरों वाले पक्षियों को रखा गया है। पक्षी पानी में मौजूद भोजन को ढंूढ़ते हैं। जैसे- सारस, बलाक, बुल्जा, हंसावर आदि।
जलकाक-
इस समूह में मछलीखोर पक्षियों का समूह जैसे पनकौआ, बम्बे आदि हैं।
उभयचर-इस प्रकार के पक्षी समूह में पानी में नहीं पाए जाने वाले, लेकिन पानी के समीप रहने वाले पक्षियों के समूह को शामिल किया गया है। इस प्रकार के पक्षी प्राय: जलीय भोजन पर निर्भर रहते हैं। इसमें किलकिला, कुररी, बाटन, धोबिन, टिटहरी और धोमरा आदि आते हैं।

जलीय पक्षियों की खास बातें-- जलीय पक्षियों की गर्दन और चोंच लंबी होती है। ब्लाक, अंजन, बगुले अपनी लंबी गर्दन की सहायता से जलीय जंतुओं का शिकार करते हैं।
-ऐसे पक्षियों के लंबे पैर होते हैं और हड्डियां मजबूत होती हैं। लंबे पैरों की मदद से आसानी से पानी में अपना भोजन ढूंढ़ लेते हैं। इसका उदाहरण सारस और बगुले हैं।
- जलीय पक्षियों की अंगुलियां मजबूत होती हैं जिससे वे जलीय पौधों की पत्तियों पर चल सकते हैं। जसाना, जलमुर्गी इसका उदाहरण हैं।
- पंखों पर मोम की परत चढ़ी होती है जो उन्हें जलरोधक बनाती हैं। बत्तख, पनडुब्बी आदि इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
- जलीय पक्षियों के पैर झिल्लीयुक्त होते हैं, जो उन्हें तैरेने में मदद करते हैं।

खास तरह की चोंच-
पक्षियों की आदत के अनुसार चोंच की बनावट होती है।
आगे से चपटी- बत्तख की चोंच ऐसी ही होती हैं। ऐसी बत्तख कुतरकर खाने में मदद करती है।
चम्मच जैसी- ऐसी चोंच उड़ते हुए शिकार पकड़ने में मदद होती है। पघीरा, धीमरा और कुररी इसका उदाहरण है।

लंबी सीधी या मुड़ी हुई- ऐसी चोंच कीचड़ में कीड़े या जलीय जन्तु ढूंढ़ने में मदद करती है। जैसे- बाटन, गुडेरा आदि।
भालेनुमा-
ऐसी चोंच मछली पकड़ने में मदद करती है। किलकिला और बगुला आदि की चोंच ऐसीस ही होती है।
छलनीयुक्त चोंच- ऐसी चोंच से पक्षी कीचड़ से कीड़े ढूंढकर खा लेते हैं।
थैलीनुमा- ऐसी चोंच की बनावट भोजन की थैली में भोजन एकतित्रत करने में मदद करती है। हवासिल की चोंच ऐसी ही होती है।
दरांतीनुमा चोंच-
ऐसी चोंच से मछली आसानी से पकड़ी जा सकती है। पनकौवा की चोंच ऐसी ही होती है।
लंबी और आगे से चपटी चोंच-
ऐसी चोंच पानी छानकर जलीय जन्तुओं को ढूंढ़ने में मदद करती है। चमचा यानि स्पून बिल इसका उदाहरण है।



मप्र के प्रमुख जलीय पक्षी-अंधा बगुला (पांड हेरॉन)
सारस (शरारी टिटहरी)
छोटा किलकिला (कॉमन किंगफिशर)
गार्जेनी (चेता बत्तख)
मलंग बगुला (ग्रेट इर्जेट)
स्लेटी अंजन (ग्रे हेरॉन)
नकटा (कॉम्ब डक)
सफेद छाती किलकिला (ह्वाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर)
टिकड़ी (कॉट)
जल कुररी (रिवर टर्न)
सफेद छाती जलमुर्गी (ह्वाइट ब्रेस्टेड वॉटरहेन)
सर्खाब (रूबी शेलडक)
बार हेडेड गूज (सरपटी स्वान)
छोटी मुर्गाबी (कॉमन टील)
कोरिल्ला किलकिला (पाइड किंगफिशर)
नील सिर बत्तख (मार्लाड)
सफेद बुज्जा (ह्वाइट इब्स)
गुगराल बत्तख (स्पॉट बाइल्ड डक)
हाजी लगलग (वॉली नेक स्टॉर्क)
छोटा पनकौवा (लिटिल कॉर्मोरेंट)
बड़ा पनकौवा (ग्रेट कॉर्मोरेंट)
बेखुर बत्तख (गडवाल)
जांघिल (पेंटेड स्टॉर्क)
लाल सिर बत्तख (रेड क्रिस्टेड पॉचार्ड)
घोंघिल (ओपन बिल स्टॉर्क)
जलपीपी (ब्रांज्ड विंग्ड जेकाना)
गिर्री बत्तख (कॉटन टील)
चमचा (स्पून बिल)
कॉमन स्नाईप (सामान्य चहा)
कोआरी बुज्जा (ग्लोसी इब्सि)
गजपांव (ब्लैक विंग टिल्ट)

रोचक पहलू- जलीय पक्षी बत्तख, जलमुर्गी, हंस की सबसे खास बात यह होती है कि ये पौधों पर तैरते हुए घोंसले बनाते हैं, जबकि बगुले, बुज्जा, बलाक, हंसावर, चमचा आदि प्रजातियां पेड़ों पर घोंसला बनाती हैं। टिटहरी, कुररी, किलकिला और सारस आदि जमीन पर अंडे देते हैं।