बरसात आई, बीमारियां लाई

Saturday, July 28, 2012

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 बरसात में हरा-भरा मौसम देखने में तो बहुत अच्छा, लेकिन अपने साथ-साथ कई बीमारियों और परेशानियां भी लेकर आता है। खान-पान से होने वाली बीमारियां, त्वचार रोग, आंख रोग, शारीरिक व्याधियां भी इसी मौसम में ज्यादा घेरती हैं। बच्चों से लेकर बड़ों को इससे बचने की सलाह दी जाती है। इस मौसम में कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, कौन सी समस्याओं से आप घिर सकते और क्या सावधानी रखें, तो जरा नजर डालिए। 

बरसात देखने में तो अच्छी लगती, लेकिन अपने साथ-साथ अनेक प्रकार की समस्याएं लेकर आती है, जैसे इस मौसम में कीड़े-मकोड़ों की तादात बढ़ जाती है। सांप के बिलों में पानी भरने से सांप भी बाहर निकल आते हैं और स्नेक बाइट (सांप काटना) के केसेज भी बढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं मच्छर भी पनपने लगते हैं, जिससे मलेरियर और डेंगू के मरीज बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा संक्रमण के कारण पेट, आंखों और त्वचा रोग की समस्याएं बढ़ने लगती हैं। ऐसे में डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि घर से बाहर बरसात में कम निकलें, यदि जाना जरूरी हो तो शरीर को ढककर निकलें, बाहर की कोई चींज न खाएं और मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें। जहां तक संभव हो तो ऐसी जगहों पर न जाएं, जहां पर सांप और अन्य तरह के जहरीले कीड़े होने की संभावना हो। बच्चों को भी इन दिनों पार्क में खेलने के लिए न भेंजे; क्योंकि वहां की झाड़ियों में जहरीले कीड़े हो सकते हैं।


गठिया व फोड़े-फुंसी- 
इस मौसम में संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं या यूं कहें कि उनकी वृद्धि के लिए यह मौसम बहुत ही अनुकूल रहता है। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि इस ऋतु में वात का प्रकोप बढ़ता है और पित्त का परिचय होता है। इस कारण भी शारीरिक व्याधियां बढ़ती हैं। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और ज्यादा तला-भुना भोजन न करें। वहीं गठिया व वात से पीड़ितों को सलाह दी जाती है कि सर्दी से बचाव करें और ऐसे चीजें न खाएं जिनसे शरीर में वात की शिकायत बढ़े। इसके बारे में आयुर्वेदिक चिकित्सक संजय शर्मा कहते हैं वात और गठिया से ग्रसित लोगों को लहसुन का सेवन करना चाहिए। साथ ही विटामिन सी का सेवन करें। इससे संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है। नींबू और मौसम्बी का जूस लें। इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


इनका रखें ध्यान- 
 त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग तिवारी का कहना है कि शरीर गीला न रखें, यदि भीग जाएं तो अच्छे से शरीर को सुखा लें। गीले कपड़े, मोजे और फुटवियर बिल्कुल न पहनें। ज्वांइट जैसे अंगुलिया के बीच की जगह, अंडर आर्म को सूखा रखें; क्योंकि इनमें फंगल इन्फेक्शन फैल सकता है। इसके अलावा शरीर के खुले हिस्सों पर सीजनल कीड़े भी बैठ सकते हैं, जिससे इन्फेक्शन फैल सकता है। घर से बाहर जाते समय या फिर पार्क में जाने से पहले शरीर को अच्छी तरह से ढक लें। रात के वक्त ऐसी जगहों पर न बैठें जहां कीड़े आने की संभावना हो।

स्नेक बाइट- 
बरसात के दिनों में जहरीले कीड़े और सांप निकलना आम बात है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम करना और सावधानी रखना हमारा काम है। पार्क, सड़क, गड्ढे, खेत-खलिहान में ऐसे कीड़े पाए जाने की संभावना अधिक रहती है। यदि दुर्भाग्यवश किसी को ऐसा कीड़ा काट ले तो घबराएं बिल्कुल भी नहीं। डॉ. वी के सिंह बताते हैं कि स्नेक बाइट के कारण ज्यादातर लोगों की मौत सिर्फ इसलिए होती है कि वे घबरा जाते हैं। इस कारण उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और संबंधित कीड़े/सांप का जगर तेजी से शरीर में फैलने लगता है। ऐसे में यदि व्यक्ति को समय पर एंटी वेनम और उपचार न मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि यदि किसी को सांप या कोई अन्य कीड़ा काट ले तो घबराएं नहीं और तुरन्त चिकित्सा की व्यवस्था करें और संबंधित जगह को कसकर बांध दें, जिससे जहर तेजी से शरीर में न फैल सके।