डरिए नहीं लड़िए

Saturday, July 6, 2013

डॉक्टर्स डे 7 जुलाई -
छोटे से लेकर बड़े तक कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह अनियंत्रित जीवनशैली, पारिवारिक हिस्ट्री, बदलती पर्यावरणीय समस्याएं, उत्परिवर्तन, खान-पान और तनाव को बताया जा रहा है। कैंसर को पैदा करने में रेडिएशन, धूम्रपान, तंबाकू का सेवन भी प्रमुख हैं। कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए अभी तक ऐसी कोई कारगर युक्ति नहीं आ सकी है। इसकी मुख्य वजह कोशिकाओं की अनियंत्रित ग्रोथ है। यदि सर्जरी या सिकाई के जरिए कोशिकाओं को काटकर या सिकाई के जरिए नष्ट कर भी दिया जाता है, लेकिन यदि उसका थोड़ा सा भी अंश शेष रह गया तो फिर से कोशिकाओं की ग्रोथ तेजी से होने लगती है जो गांठ या गुच्छे के रूप में परिवर्तित हो जाती है। कोशिकाओं की अनावश्यक ग्रोथ शरीर की अन्य क्रियाओं में बाधक बनती है और अन्य रोगों को भी जन्म देती है। ऐसा होने से व्यक्ति की पूरी शारीरिक क्रिया ही प्रभावित हो जाती है। इसका असर यह होता है कि व्यक्ति असमय ही काल के मुंह में समा जाता है। हालांकि आज के समय में ऐसी कारगर युक्तियां आ गई हैं, यदि समय रहते उपचार कर लिया जाए तो कैंसर को भी दूर किया जा सकता है और स्वस्थ्य जीवन का आनन्द लिया जा सकता है।


यूं करें कैंसर की पहचान-
कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक कैंसर की पहचान के दौ सौ से अधिक लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षणों को ध्यान में रखकर यदि शुरुआती दिनों में ही जांच कराई जाए तो कैंसर को पूर्णत: ठीक किया जा सकता है।
  • शरीर में यदि आपको कहीं गठान होने का अहसास हो।
  •  इन लक्षणों में पेशाब में आने वाले खून और खून की कमी की बीमारी अनीमिया शामिल है।
  •  पखाने में आनेवाला खून, खांसी के दौरान खून का आना, स्तन में गांठ, कुछ निगलने में दिक्कत होना, मीनोपॉस के बाद खून आना और प्रोस्टेट के परीक्षण के असामान्य परिणाम।


तंबाकू और गुटखा घातक-
आज हमें तरह-तरह के कैंसर के बारे सुनने को मिल रहा है। इसके बावजूद भी तंबाकू और गुटखे से होने वाला मुंह का कैंसर अभी भी अन्य कैंसर के मामले में पहले पायदान पर है। देश की स्थिति के बारे में यदि बात करें तो गांव-कस्बों की 4.2 फीसदी महिलाएं भी बीड़ी, हुक्का और गुटखा के चंगुल में है। ऐसी ही स्थिति शहरों की है। ग्लोबल युवा सर्वे के अनुसार 2008-09 में बिहार में 71.8 फीसदी युवा तम्बाकू का सेवन करते थे। इनमे 48 फीसदी 10 साल से कम उम्र वाले बच्चे शामिल है। तम्बाकू का सेवन करने वाले 58.9 फीसदी युवाओं में 61.4 फीसदी लोगों में 51.6 फीसदी लड़के व 49.2 फीसदी लड़कियां है। सिगरेट पीने वाले 19.4 फीसदी लोगों में 23.0 फीसदी लड़के व 7.8 फीसदी लड़कियां हैं। ये सभी तथ्य चौंकाने वाले हैं। नई रिसर्च के जरिए यह भी पता चला है कि यदि लोग तंबाकू और धूम्रपान छोड़ने का मन बनाते हैं तो सम्पन्न व्यक्ति तो छोड़ने के लिए जल्दी राजी हो जाते हैं, लेकिन गरीब और मिडिल क्लास के व्यक्ति इसे छोड़पाने में असमर्थता जताते हैं।
प्रत्येक वर्ष धूम्रपान करने से 70 हजार भारतीय मौत के गाल में समा जा रहे है। प्रत्येक दिन 2200 मौते तम्बाकू संबंधी रोगों से हो रही है। अगर इसपर नियंत्रण नहीं तो 2020 आते-आते 13 प्रतिशत मौते तम्बाकू के कारण होगी। तम्बाकू के सेवन से हर साल 50 लाख लोगों की मृत्यु होती है। सबसे ज्यादा मुहं का कैंसर 20 से 40 वर्ष की उम्र वालों में होता है। सब-न्यूकस हाईब्रोसिस 15 से 20 आयु वर्ग वाले युवकों में होता है। इसमे गुटका का सेवन करने वालों का मुहं छोटा हो जाता है। जिसके कारण उन्हें सांस लेने में भी परेशानी होती है। जो तम्बाकू का सेवन करते है। उनकी आॅक्सीजन लेने की क्षमता दिन-प्रतिदिन कम होती जाती है। हमारे संस्थान में बहुत कम उम्र वाले बच्चे भी इलाज के लिए आ रहे हैं। सिगरेट से पांच गुणा खतरनाक खैनी का सेवन है। शहरों में तो खैनी का सेवन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है लेकिन गांव में इसका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के बारे में ग्रामीण इलाकों में लोगों को ठीक से पता तक नहीं है।  

धूम्रपान से होने वाले कैंसर-
लंग कैंसर
ग्रासनली का कैंसर
गुर्दे का कैंसर
स्तन कैंसर (महिलाओं में)
लैरिंग्स (कंठ)कैंसर
उदर, अग्नाशय का कैंसर

सर्वाइकल कैंसर-
महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। हालांकि इसकी कारगर ‘एचपीवी वैक्सीन’ आ चुकी है। यदि इसे समय पर लगवा दिया जाए तो सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। इस कैंसर को अंजाम देने वाला ह्यूमन पेपिलोमा वायरस सेक्सुअली ट्रांसमिशन से एक से दूसरे में पहुंचता है। साफ-सफाई का ध्यान रखना और एतिहात बरतने पर इसे होने से रोका जा सकता है। जानकारी के मुताबिक 2008 में विकासशील देशों में 85 फीसदी महिलाओं में इसके नए केसेज दर्ज किए गए थे।
ब्रेस्ट कैंसर-
महिलाओं में सबसे आम कैंसर ब्रेस्ट कैंसर यानि स्तन कैंसर है। इसके पीछे बदलती जीवनशैली और लेट मेरिज है। देर से बच्चा पैदा करने की टेंडेंसी आजकल देखी जा रही है, यह भी इस कैंसर को जन्म देने में महत्वपूर्ण कारक है। इससे बचने का एक ही रास्ता है कि तनाव, खान-पान और जीवनशैली को नियंत्रित किया जाए। साथ ही समय-समय पर स्तनों की मेमोग्राफी कराते रहें। किसी भी प्रकार की शंका होने पर तुरंत जांच कराएं। आजकल तो जांच के लिए   नई-नई और कारगर तकनीकें आ गई हैं।

ये हैं जांच की तकनीकि-
रेडियो इमेजिंग- इससे यह पता चल जाता है कि कैंसर कितना फैल चुका है, कौन सी स्टेज में है। इलाज के लिहाज से इसे काफी कारगर माना जाता है।
मेमोग्राफी- स्तन कैंसर के मामले में सबसे कारगर
कीमोग्राफी- तेजी से ग्रोथ करने वाली अनावश्यक कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
ट्यूमर मार्कर- ट्यूमर की ग्रोथ पता चलती है।
पीईटी (पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी)- इसके जरिए थ्री डायमेंशल इमेंज मिल जाती है संबंधित स्थान की।

मप्र में उपचार-
मप्र में भी कैंसर का कारगर इलाज किया जाने लगा है। प्रदेश के चारों बड़े शहरो भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में इसका इलाज किया जाता है। संबंधित संस्थानों में कारगर इलाज होता है। उनके नाम इस प्रकार हैं।
भोपाल-
जवाहर लाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर
हमीदिया हॉस्पिटल
नवोदय हॉस्पिटल
चिरायु हॉस्पिटल

ग्वालियर-
रीजनल कैंसर सेंटर
इंदौर-
सीएचएल अपोलो
अरविन्दो हॉस्पिटल
चौइथराम हॉस्पिटल

जबलपुर-
नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज

ये करें-
अच्छा और पोषक तत्वों से भरपूर खाना लें।
नियंत्रित जीवनशैली जिएं

फैक्ट-

  •  अमरीका की सी.डी.सी. के अनुसार धुआं रहित तम्बाकू में भी 28 कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं और धुआं-रहित तम्बाकू कैंसर का एक जनक है, खासतौर पर मुहं का कैंसर होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है।
  •  भारत में होने वाली मौतों का दूसरा कारण कैंसर हैं। देश में इसकी रफ्तार 11 फीसदी के दर से सालाना बढ़ रही है। 2.5 मिलयन कैंसर से पीड़ित हैं।
  • पांच में से एक भारतीय (30-69 वर्ष) तंबाकू से होने होने वाले कैंसर के कारण काल कवलित हो जाता है।


इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च आन कैंसर के मुताबिक एशिया महाद्वीप में कैंसर की स्थिति-
ईस्टर्न एशिया  केस                                                               मृत्यु
   पुरुष               महिला             कुल                            पुरुष         महिला        कुल
   2,135,300    1,585,400         3,720,700              1,511,800    928,600   2,440,400
साउथ सेंट्रल एशिया  
 651,100         772,000          1,423,100                 496,800       483,200   979,900
(भारत शामिल)
साउथ ईस्ट्रन एशिया  
336,700          388,800           725,600                    258,600       242,400   501,000
वेस्टर्न एशिया 
 118,500          104,800           223,300                    86,700          64,400    151,200

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